Sunday, May 10, 2009

तू ही एक सच्ची गजल है

वो बनकर बहारे तेरा ..
डाली डाली पर बिखर जाना,
वो सावन में बरसना ऐसे ....
महफिल मैं जैसे किसी पैमाने का छलक जाना ,
वो पंछियों में छुपकर हर रोज तेरा चैह्चाना ......
जैसे कान्हा की बंसी छेड़े
राधा की प्रीत का तराना,
वो बनकर तितली मेरी बगिया मैं तेरा इतराना .....
जैसे मदमस्त हवा में आँचल का लहराना ,
वो बनकर शबनम की बूंदे ..कलियों को तेरा भिगो देना ...
जैसे मजदूर के माथे से पसीने का टपक जाना ,
"वो बनकर ममता का स्वरूप उन आँखों में स्नेह सागर का उमड़ आना
मानो माँ की भोली सूरत में ही बसता है तेरी खुदाई का खजाना "
**ऐ प्रकृति के मालिक हाँ मैंने ये माना...
तू ही एक सच्ची गजल है ,बाकि सब जूठा है फ़साना

4 comments:

  1. gazab vandana! jadoo hain pura.. bahut khoob . keep writing

    ReplyDelete
  2. bahut khoob vandana ji, bahut sahi gazal hai aapki. badhai

    ReplyDelete
  3. अच्चे भाव समेटे है आपकी कविता
    पढ़ कर अच्छा लगा
    आपका वीनस केसरी

    ReplyDelete
  4. तू ही एक सच्ची गजल है ,बाकि सब जूठा है फ़साना ......kya baat hai........rabba mere rabba .....maula mere maula.....!!

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...