Monday, March 8, 2010

gajal



मेरी आँखे... उबलती ...नहर सी है
तेरी यादे. . कसम से ..कहर सी है

दर्दे दिल को सहलाता है तस्सवुर तुम्हारा
अजीब दवा है .....जो . .जहर सी है

इज्तराब ए इश्क क्या चीज़ है मालूम नहीं
मगर एक बेचैनी हमें आठो पहर सी है

खुद में सिमटकर रहना फिदरत है हमारी
फिर क्यूं हालत अपनी तड़पती लहर सी है

हर लम्हा. .एक उम्र सी जीता है मेरा
हर पल कि तड़प ..बेमहर सी है..

8 comments:

  1. दर्दे दिल को सहलाता है तस्सवुर तुम्हारा
    अजीब दवा है .....जो . .जहर सी है

    bahut sunder sher

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  2. हर लम्हा. .एक उम्र सी जीता है मेरा
    हर पल कि तड़प ..बेमहर सी है..
    Bahut khoob!

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  3. sabhi sher ek se badhkar ek. badhaai.

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  4. हर लम्हा. .एक उम्र सी जीता है मेरा
    हर पल कि तड़प ..बेमहर सी है..


    प्रभावी अभिव्यक्ति !

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  5. Kya khaa rahi ho ya kya padh rahi ho aaj kal to itni dhansu poetry likh rahi ho???

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. "har pal ki tadap, bemahar si hai......"......bahut khub!!

    http://jindagikeerahen.blogspot.com/2010/03/blog-post.html

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  8. kanhaiya kumawatNovember 15, 2011

    bhaut pyari gajal he

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...