Saturday, July 17, 2010

मुख्तलिफ मेरा .

मुख्तलिफ= different




मुझमे ..मुख्तलिफ मेरा ...
मेरी ही नजरो में
मुझे गुनहगार ठहराता है हर बार ,
जैसे हर एक खता पे
मेरा ही नाम लिखा था ...

रहता है बहुत चिडचिडा
टकराता है हर पल मुझसे
एक जिद्दी बच्चे कि तरह
हर पल मनमानी करने को आतुर..
बेवजह रोना ..बिलखना
छटपटाना . बिखर जाना
जरा सी व्याकुलता से
जैसे जहन नहीं
कोई रेत का टीला है ..

डर लगता है इस एहसासों कि पुरवाई से
एक रोज मिटटी में ही ना मिले दे इसे

जाने कितनी बार डांट झपट कर रोता
बिलखता छोड़ करवट ले सो जाती हूँ
सुबह आँखों के सूजी कौर पर
उदास बैठे देख फिर पिघलकर
पत्थर से मोम हो जाती हूँ ..

भर लेती हूँ सीने में दुलार कर
मासूम बच्चे कि तरह
एक फकत तेरे ही वास्ते ऐ दिल कब तक
मैं अपने अहम् से समझोते करती रहूंगी?

मुझसे ये मन्नते इसकी
मेरे जहन कि दीवारों से
टकराती हुई गूंजती है मुझमे
"एक पल के लिए मिलो
मुझको मेरी तरह
तुम्हारी कसम बहुत अकेले हैं.."

9 comments:

  1. वाह गज़ब इतनी छोटी उम्र में इतना अच्छा लिखना काबिले तारीफ ही है. पहली बार स्वप्निल के ब्लॉग के थ्रू आप के ब्लॉग तक पहुचना हुआ. आप तो बहुत गहरा, सधा हुआ, और अच्छा लिखती है.

    जिन एहसासों को हम शब्द आसानी से नहीं दे पाते उन्हें आपने कितनी सुन्दर मोतियों में ढाल दिया.

    सच बहुत बढ़िया लगा आपको पढ़ना.

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  2. thankss a lott Anamika ji ..bahut bahut aabhar k aap blog tak aayin ..sach bahut accha laga ..bas aap logo se hi seekhne ki koshish hai ..par kai baar bina kuch soche samjhe likhi hui baat ek gehra asar chhod deti hai ..likhne vaale par bhi or padhne valo par bhi ..sayad vahi hai ...

    ny ways thank u soo much :)

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  3. awesome penning...so touching...cud very well relate to it...dil ko chu gayi..

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  4. kya bole ham......aisa lag raha hai...hamne hi likha hai...bas style diff hai ...shayad yahi hai expression...Good one...Indeed!

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  5. @ priya ..thnks a lot yaar i ws waiting for ur commment or tumhe pata hai kyoon hehehe thnks a lott dear :):)bahut apna sa laga tha vo sabd judna accha laga :)

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  6. Han to tum split personality disordes se pareshan ho..hehehe..nazm bahut achhi hai..jehan ko ret ka teela batane wala khayal bahut sundar hai...

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  7. @ swapnil ....hehehehe :)

    thanks a lott for coming :)

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  8. [i]bahut sunder vandana ji... bahut hi sunder rachna likhi hai aapne :)

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...