सोचती हूँ इस फ़साने का अब कोई अदम लिख दूं
क़त्ल ए किरदार से पहले एक आखरी नज्म लिख दूं ....
जिंदगी नयी शर्तों पर फिर जीने के मोहलत ले आयी ...
इसे साँसें बख्शने से पहले मरता हुआ गम लिख दूं
ये सदायें ,चुभन ,बेचैनिया गर बेसबब हैं तो क्यूं हैं ?
कोई जवाब दे ,तो इस इबादत को मैं एक भरम लिख दूं
चलो मान लेते हैं दिल को दिल से कोई राह नहीं होती
उदास है हवा.. तो क्यूं अपने मौसम मैं नम लिख दूं
इश्क, मोहब्बत या महज एक पागलपन ,जो भी हो
जी चाहता है ,हर एक आरजू पे मैं सारे जनम लिख दूं
वंदना