Saturday, July 27, 2013

बज्म ए सुखन मुशायरा वाशिंगटन डी सी

2 comments:

  1. वाह ... बधाई हो बहुत ... आपका गज़ल पढ़ने का अंदाज़ लाजवाब है ...

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  2. Asheesh hai ..Bahut shukriya apka :)

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...