Sunday, December 8, 2013

त्रिवेणी,



वक्त समझ कर कैद किया था मुट्ठी में कुछ और निकला 
हमने लफ़्ज़ों में मौन बुना था जन्म जन्म  का शोर निकला 

शायद जिंदगी बस ऐसी ही  कुछ पहेलियों का नाम हैं !      


 ~ वंदना 









2 comments:

  1. Jindagi hai hee ek paheli. kis pal kya ho jata hai kaun jan sakta hai.

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  2. वाह बहुत खुबसूरत. मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत..

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...