वक्त भरता नही है
बल्कि बो देता है उसपर
जज्बातों के नागफनी
जज्बातों के नागफनी
जिसे सींचती हैं
मन की तृष्णा
अकार ले रहा होता है
जो अंतर्मन में
अजन्मे वियोग की तरह
कान दबाये सुनते रहते हैं
हर सिम्त गूंज़ते उस शोर को
जो चुप्पियों के तिड़कने की गूंज है
नही बचता
नही बचता
जिंदगी के चलचित्र में
ऐसा कुछ भी
जैसा दिखाई दे रहा होता है!
~ वंदना
~ वंदना